इस आर्टिकल में बार्नयार्ड मिलेट (Barnyard millet in hindi), बार्नयार्ड मिलेट के फायदे और नुकसान (Benefits and Side effects), इसकी खेती एवं कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां दी गयी है
बार्नयार्ड मिलेट एक प्रकार का सांवा या सामा होता है, जो अन्य पॉजिटिव मिलेट की तरह खाद्य फसल और पशुओं के चारे के रूप में उपयोग में लाया जाता है। इसके दो स्पीशीज, Echinochloa frumentacea और Echinochloa esculenta, की खेती की जाती है। इंडियन बार्नयार्ड मिलेट के रूप में Echinochloa frumentacea को भी जाना जाता है जबकि Echinochloa esculenta को जैपनीज बार्नयार्ड मिलेट कहा जाता है। इनका वर्गीकरण poaceae फैमिली से होता है। यह फसल विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
बार्नयार्ड एक फसल है जो गर्म और शीतोष्ण जलवायु में उगाई जाती है। यह भारत के उत्तरांचल में अधिकतर उगाया जाता है लेकिन चीन, जापान और कोरिया में भी इसकी खेती की जाती है। यह फसल तेजी से तैयार होती है और करीब 45-60 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसे विभिन्न परिस्थितियों में आसानी से उगाया जा सकता है और बिना कीटनाशक के भी इसकी खेती की जा सकती है।
जब किसान अपनी जीविका के लिए चावल की खेती नहीं कर पाते हैं, तब वे बार्नयार्ड की खेती कर सकते हैं। लोगों में इस फसल के प्रति उत्साह बढ़ा हुआ है और विभिन्न विधियों से इसका सेवन किया जाता है। यह फसल टूटे हुए चावल जैसा ही स्वादिष्ट होता है।
Contents
- 1 समा के चावल कैसे होते हैं | Barnyard millet in hindi
- 2 समा के चावल price | Sama rice price 1kg
- 3 सांवा का आटा | Barnyard millet flour
- 4 बार्नयार्ड मिलेट के पोषण मूल्य की जानकारी | Barnyard millet nutritional value per 100g
- 5 समा के चावल के फायदे और नुकसान | Barnyard millet benefits and side effects in hindi
- 6 सांवा की खेती | समा के चावल का पौधा
- 7 सांवा का बीज कहां मिलेगा
- 8 (Barnyard Millet) प्रोसो मिलेट से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवाल
समा के चावल कैसे होते हैं | Barnyard millet in hindi
सामा एक वार्षिक फसल है जिसके बीज और फोरेज के लिए जापान और दक्षिण-पूर्व एशिया में उगाया जाता है। इसे संयुक्त राज्य अमेरिका में एक महत्वपूर्ण वनस्पति फसल के रूप में भी जाना जाता है। सामा के बीज खाने में उपयोगी होते हैं और यह प्रोटीन और आयरन का एक अच्छा स्रोत है। इसे पकने पर इसकी रंगत्व लाल हो जाती है और यह अधिक सख्त हो जाता है।
सामा को खटाई के बाद सुखाकर भी रखा जा सकता है ताकि इसे लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सके। विभिन्न भागों में, सामा का उपयोग खाद्य पदार्थ और विभिन्न व्यंजनों में होता है। इसे पॉरिज ब्रेड, कूकीज, केक, कुसकुस और मॉल्टड पेय पदार्थ जैसे भिन्न-भिन्न व्यंजन बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
जापान में 12000 ईसा पूर्व बार्नयार्ड मिलेट को सबसे पहले विभाजित किया गया था, इसलिए इस अनाज की उत्पत्ति जापान से हुई है और इसे कागजी रूप में जाना जाता है कि साथी का दूसरा नाम जापानी बार्नयार्ड मिलेट या जापानी मिलेट है। इस अनाज का वैज्ञानिक नाम इचिनोक्लोआ एस्कुलेंटा है और यह घास की प्रजातियों से ताल्लुक रखता है। भारत, जापान, चीन और कोरिया सिर्फ इन देशों में इसकी खेती की जाती है। जापान में इसे चावल के तरीके से परोसा जाता है और इसे चावल का दूसरा रूप माना जाता है।
समा के चावल price | Sama rice price 1kg
समा के चावल का मूल्य भारत में विभिन्न राज्यों और शहरों में अलग-अलग होता है। इसका मूल्य आमतौर पर 80 से 120 रुपये प्रति किलो तक होता है। यह मूल्य उत्पादक, वितरक और बाजार की मांग के आधार पर भी बदल सकता है।
सांवा का आटा | Barnyard millet flour
सांवा आटा बनाने के लिए सांवा को पीसकर पाउडर की तरह बनाया जाता है। इसे सांवा का पीठा भी कहा जाता है।
सांवा आटा ग्लूटेन फ्री होता है, इसलिए यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो ग्लूटेन से पीड़ित होते हैं। इसके अलावा सांवा आटा पोषण से भरपूर होता है और विभिन्न विटामिन और मिनरल का एक अच्छा स्रोत होता है।
सांवा आटा का उपयोग भाप में बनाई गई ढोकला, उपमा, चीला, पूरी, रोटी और बहुत से अन्य व्यंजनों में किया जाता है। इसके अलावा इसे मूली के पराँठे बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है।
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बार्नयार्ड मिलेट के पोषण मूल्य की जानकारी | Barnyard millet nutritional value per 100g
यहां बार्नयार्ड मिलेट (जंगली बाजरा) के प्रति 100 ग्राम के पौष्टिक मूल्य की एक तालिका है:
पोषक तत्व | प्रति 100 ग्राम |
---|---|
कैलोरी | 360 कैलोरी |
प्रोटीन | 11 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट | 72 ग्राम |
वसा | 3.6 ग्राम |
फाइबर | 6.7 ग्राम |
आयरन | 18 मि.ग्रा. |
फोस्फोरस | 293 मि.ग्रा. |
मैग्नीशियम | 119 मि.ग्रा. |
कैल्शियम | 11 मि.ग्रा. |
पोटैशियम | 195 मि.ग्रा. |
नियासिन | 5.2 मि.ग्रा. |
विटामिन-बी6 | 0.2 मि.ग्रा. |
विटामिन-बी1 | 0.1 मि.ग्रा. |
विटामिन-बी2 | 0.1 मि.ग्रा. |
फोलेट | 17 मि.ग्रा. |
यह जानकारी आपके लिए उपयोगी हो सकती है, लेकिन अपने आहार में इसका उपयोग करने से पहले एक चिकित्सक या पोषण विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होगा।
समा के चावल के फायदे और नुकसान | Barnyard millet benefits and side effects in hindi
समा के चावल व्रत के दौरान आमतौर पर उपयोग किए जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके सेवन से शरीर को कौन-कौन से फायदे होते हैं? समा या बार्नयार्ड बाजरा (Barnyard millets) का सेवन शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें कई पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए आवश्यक होते हैं इसके सेवन से आपके शरीर को ऊर्जा मिलती है और आपकी इम्यूनिटी बूस्ट होती है।
हालांकि, समा के चावल के सेवन से जुड़े कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे मतली-उल्टी की समस्या और लो ब्लड शुगर। इसलिए, इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
आज हम इस लेख में समा के चावल खाने के फायदे और नुकसान के बारे में जानेंगे-
समा के चावल के फायदे | Barnyard millet benefits in hindi
Barnyard millet in hindi benefits – समा के चावल आपके स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इसमें विटामिन बी1, विटामिन बी2, विटामिन बी3, प्रोटीन, फाइबर, आयरन, कैल्शियम, थायमिन, नियासिन और वसा जैसे तत्व पाए जाते हैं। यह आहार शरीर के लिए उत्तम माना जाता है, खासतौर पर जब आप व्रत के दौरान होते हैं यह स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक साबित होते हैं चलिए हम आपको समा के चावल (बार्नयार्ड मिलेट) के फायदों के बारे में विस्तार से समझाते है।
- कैंसर (Cancer) – विभिन्न घातक बीमारियों के जैसे कैंसर के खतरों को कम करने के लिए, समा के चावल का सेवन उपयोगी होता है। समा का चावल एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है जो शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं।
- आयरन (Iron) – शरीर में आयरन की कमी से होने वाली खून की कमी को दूर करने के लिए, समा के चावल का सेवन उपयोगी होता है। समा का चावल आयरन से भरपूर होता है जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मददगार साबित होता है।
- पाचन तंत्र (Digestion) – पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने में समा के चावल का सेवन उपयोगी होता है। समा का चावल फाइबर से भरपूर होता है जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और कब्ज जैसी समस्याओं से निजात पाने में मददगार साबित होता है।
- वजन (Weight) – अगर आप अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं और वजन कम करना चाहते हैं, तो आपको समा के चावल का सेवन करना चाहिए। समा के चावल में कम कैलोरी और अधिक फाइबर होती है, जो वजन को कंट्रोल करने में मददगार साबित होता है।
- हड्डियों (Bones) – समा के चावल (बार्नयार्ड मिलेट) का सेवन हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। सभा का चावल कैल्शियम से भरपूर होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है और हड्डियों से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करता है।
- कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) – समा के चावल का सेवन कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए फायदेमंद होता है। समा का चावल प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है, जो बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है।
समा के चावल के नुकसान | Barnyard millet side effects in hindi
समा के चावल खाने से स्वास्थ्य के लिए कई फायदे होते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से नुकसान भी हो सकते हैं। ज्यादा मात्रा में समा के चावल खाने से मतली उल्टी की समस्या, लो ब्लड शुगर की समस्या और आंतों में विकार जैसी समस्याएं हो सकती हैं आइए विस्तार से जानते हैं समा के चावल खाने के नुकसान के बारे मे-
- समा के चावल का अधिक सेवन करने से पेट संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इसका कारण है कि समा के चावल में अधिक मात्रा में फाइबर होती है जो पेट को अधिक भारी महसूस करने का कारण बन सकती है।
- अधिक समा के चावल का सेवन करने से उल्टी और मतली जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसका कारण है कि समा के चावल में अधिक मात्रा में फाइबर होती है जो पाचन क्रिया को बढ़ा सकती है और उल्टी और मतली का कारण बन सकती है।
- जो लोग ब्लड शुगर लेवल लो करने की दवा का सेवन करते हैं, उन्हें समा के चावल का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसका अधिक सेवन उनके ब्लड शुगर लेवल को और नीचे खींच सकता है जो उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है।
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सांवा की खेती | समा के चावल का पौधा
सांवा भारत की एक प्राचीन फसल है जो सामान्यतः असिंचित क्षेत्रों में बोई जाती है। इस फसल की सबसे खास बात यह है कि इसके लिए सिंचाई की आवश्यकता बहुत कम होती है जो दूसरी फसलों के मुकाबले इसे एक व्यावसायिक फसल बनाती है। सांवा का चारा पशुओं के लिए उपयोगी होता है। इस फसल में पोषक तत्वों के साथ-साथ प्रोटीन की पाचन योग्यता 40 प्रतिशत तक होती है जो चावल के मुकाबले अधिक होती है।
सरकार ने 2018 में राष्ट्रीय मोटे अनाज का वर्ष घोषित करने का निर्णय लिया है ताकि पोषण सुरक्षा को प्राप्त करने के लिए मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा मिल सके। 2016-17 के फसल वर्ष में भारत में मोटे अनाज की खेती का रकबा घटकर एक करोड़ 47.2 लाख हेक्टेयर रह गया था जो वर्ष 1965-66 के रकबे तीन करोड़ 69 लाख हेक्टेयर के मुकाबले कम था।
सावा (जंगली बाजरा) एक कम उपजाऊ फसल है जो उपयुक्त मिट्टी में बोई जाती है। इसे नदियों के किनारे की निचली भूमि में भी उगाया जा सकता है, लेकिन बलुई दोमट और दोमट मिट्टी सबसे अधिक उपयुक्त होती हैं। सावा के लिए हल्की नमी वाली और उष्ण जलवायु उपयुक्त होती है।
सावां की बुवाई के लिए टी-46, आई.पी. – 149, यू.पी.टी.-8, आई.पी.एम.- 97, आई.पी.एम.- 100, आई.पी.एम. 148 और आई.पी.एम.- 151 जैसी किस्में उपयुक्त होती हैं। वहीं कोदों के लिए JE. KE. 6, JE. KE. 62, JE. KE. -2, AP-1, GPV-3 जैसी किस्में बोई जाती हैं।
खेत की जुताई मानसून के आने से पहले ही कर लेनी चाहिए, ताकि खेत में नमी की मात्रा संरक्षित रह सके। मानसून के प्रारंभ होते ही, खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए और फिर दो-तीन जुताई अंतिम हल से करके खेत को तैयार कर लेना चाहिए।
सांवा फसल की बुवाई का सही समय 15 जून से 15 जुलाई तक होता है। यह छिटकवा विधि से बोई जाता है लेकिन कूड़ बनाकर तीन से चार सेंटीमीटर की गहराई पर बुवाई की जानी चाहिए। कुछ स्थानों पर रोपाई भी की जाती है, इसके लिए लाइन से लाइन की दूरी 25 सेमी रखनी चाहिए।
एक हेक्टेयर क्षेत्र में, सांवा की खेती के लिए, 50 से 100 कुंतल कम्पोस्ट खाद के साथ-साथ 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस, और 20 किलोग्राम पोटाश दिया जाना चाहिए। बुवाई के पहले फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा दी जानी चाहिए। बुवाई के 25 से 30 दिन बाद बची हुई आधी मात्रा नाइट्रोजन देना चाहिए।
सांवा एक खरीफ मौसम की फसल होती है, इसलिए अधिकतर स्थानों पर सांवा की खेती में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, जब तक पौधे को पूर्णतः प्रदान करने वाली मॉनसून वर्षा नहीं होती है, फूल उत्पन्न होने के दौरान एक सिंचाई आवश्यक होती है। इसके लिए, जल भराव की स्थिति वाली भूमि में सिंचाई की आवश्यकता होती है।
सांवा की खेती में, दो निराई-गुड़ाई पर्याप्त होती हैं। पहली निराई-गुड़ाई को बुवाई के 25 से 30 दिन बाद किया जाना चाहिए, जबकि दूसरी निराई-गुड़ाई को पहली निराई-गुड़ाई के 15 दिन बाद किया जाना चाहिए। निराई-गुड़ाई के समय, विरलीकरण भी किया जाना चाहिए।
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सांवा का बीज कहां मिलेगा
सोवा (Sowa) एक जड़ी-बूटी है जो आपके खाने में स्वाद जोड़ती है और साथ ही आपकी सेहत को भी संतुलित रखने में मदद करती है। यह भारतीय करी में एक विशेष घटक होती है और सोआ के बीज मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों में जोड़े जाते हैं जो तीखे और स्वादिष्ट स्वाद के लिए उपयोग किए जाते हैं।
सांवा का बीज वैज्ञानिक रूप से “Echinochloa colona” नाम के अन्य अनाज की तरह एक प्रकार का धान्य होता है। यह भारत में बहुतायत में पाया जाता है और इसे आमतौर पर दलहनी, जंगली चावल या झंझोरा नाम से भी जाना जाता है।
यदि आप सांवा के बीज खरीदना चाहते हैं, तो आप किसी भी बीज विक्रेता से या नजदीकी कृषि उपकरण विक्रेता से उन्हें ऑर्डर कर सकते हैं। आप यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि आप एक उत्पादक से अच्छी गुणवत्ता वाले बीज खरीद रहे हैं। इसके अलावा, आप किसानों से भी संपर्क कर सकते हैं जो सांवा उत्पादन करते हैं और उनसे बीज की खरीदारी कर सकते हैं।
समा के चावल की तासीर ठंडी होती है या गर्म | समा के चावल की तासीर कैसी होती है।
समा के चावल (Sama ke Chawal) व्रत खाने के लिए उपयोग में आते हैं और यह व्रत करने वाले लोगों के लिए एक पसंदीदा विकल्प है। समा चावल वास्तव में एक अनाज होता है जो व्रत के दौरान खाने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
समा चावल (Barnyard millet in hindi) की तासीर ठंडी होती है। यह अन्य अनाजों की तुलना में अधिक पोषण से भरपूर नहीं होता है, लेकिन इसमें फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। यह व्रत के दौरान खाने के लिए एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है, क्योंकि यह भोजन आसानी से पचता है और अल्प विशेष तत्वों के साथ सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
इसे साबुत या दलिया के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है और इसे बनाने के लिए धनिया, जीरा, हल्दी और नमक का उपयोग किया जाता है।
(Barnyard Millet) प्रोसो मिलेट से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवाल
बार्नयार्ड मिलेट को हिंदी में सांवा कहा जाता है। सांवा बाजरे के एक प्रकार का अनाज होता है, जो बार्नयार्ड मिलेट के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत में बहुत प्रचलित है और इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे सामवा (Samwa) और जंगली चावल (Jangli Chawal)। सांवा ग्लूटेन-फ्री होता है और उच्च पोषण मूल्य वाला अनाज होता है।
सामा एक प्रकार का धान है, जो हर वर्ष उगाया जाता है। यह खाने योग्य बीज और पशुओं के फोरेज के रूप में जापान और दक्षिण-पूर्वी एशिया में उगाया जाता है। सामा बीज का उपयोग भारत में भी किया जाता है, जहाँ इसे सांवा (Barnyard Millet) के नाम से भी जाना जाता है।
समा चावल, जिसे बार्नयार्ड बाजरा भी कहा जाता है, वजन कम करने वाले व्यक्तियों के लिए एक स्वस्थ विकल्प है। वजन घटाने के लिए अक्सर साबुत अनाज का सेवन करने की सलाह दी जाती है और इस संबंध में सामक चावल एक प्रभावी विकल्प है। समा चावल एक कम कैलोरी वाला भोजन है जिसमें उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो इसे वजन घटाने वाले आहार के लिए एक पौष्टिक जोड़ बनाता है। यह एक प्रकार का सफेद बाजरा है जो आमतौर पर भारत में खाया जाता है और ग्लूटेन मुक्त होता है।
जी हां, सामक चावल पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। उच्च कार्बोहाइड्रेट सामग्री के कारण सामक चावल का सेवन शरीर में ऊर्जा पैदा करने में मदद करता है इसके अतिरिक्त, सामक चावल एक स्वस्थ भोजन विकल्प है जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के प्रबंधन में सहायता कर सकता है यह आवश्यक विटामिन, खनिज और आहार फाइबर से भरा हुआ है।
समा के चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स लगभग 50 होता है, जो लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स रेंज में आता है यह इसे मधुमेह वाले व्यक्तियों के लिए एक उपयुक्त भोजन विकल्प बनाता है। हालाँकि, आप अपने आहार में सामक चावल शामिल करने की योजना बना रहे हैं, तो ऐसा करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना ज़रूरी है।
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