इस आर्टिकल में सत्तू खाने के फायदे और नुकसान (Sattu khane ke fayde), सत्तू खाने का तरीका, Sattu kaise banta hai, चने के सत्तू के पोषक तत्वों की जानकारी आदि के बारे में बताया गया है
क्या आप प्रोटीन युक्त आहार का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन किसी तरह अपनी दैनिक प्रोटीन आवश्यकता को पूरा नहीं कर पा रहे हैं? क्या आपको लगता है कि केवल स्टोर से खरीदा प्रोटीन पाउडर ही इसे पूरा कर सकता है? यदि हाँ, तो यह लेख आपके लिए है।
हम जानते हैं कि आप मानते हैं कि मट्ठा या सोया प्रोटीन आपकी प्रोटीन की आवश्यकता की समस्या का एकमात्र समाधान है, लेकिन हम पर विश्वास करें इसका भी एक देसी समाधान है जी हां, आप मानें या न मानें, हम बात कर रहे हैं बिहार के लजीज और स्वादिष्ट सत्तू की। आपने इसे लड्डू और लिट्टी चोखा में खाया होगा, लेकिन अब, गर्मी को मात देने के लिए ठंडे पेय के लिए इन मीठे और नमकीन सत्तू पेय की रेसिपी देखें!
सत्तू, भीगे हुए और फिर सूखे चने (चने) से बनाया जाता है, जिसे लकड़ी की आग की लौ पर भूनकर एक महीन पाउडर बनाया जाता है, जिसका रंग हल्का पीला होता है इस मिट्टी के आटे का विभिन्न तरीकों से सेवन किया जाता है – सत्तू शरबत पेय के रूप में, लिट्टी चोखा (एक बिहारी व्यंजन) की स्टफिंग में, परांठे में स्टफिंग और भी बहुत कुछ।
आटा, जिसकी मजदूरों के लिए सस्ता, स्वस्थ भोजन प्रदान करने के साधन के रूप में विनम्र शुरुआत हुई है, धीरे-धीरे शहरी पाक दृश्यों में अपनी जगह बना रहा है – इतना कि बीबीसी ने इसे भारतीय स्ट्रीट फूड का अगला क्रेज करार दिया है। लिट्टी चोखा न केवल बिहार बल्कि देश के कई शहरों में सड़कों पर ले लिया है, और आटा गेंदों की सुगंध, पाउडर से भरा हुआ है और खुली आग पर सेंकना हवा भरता है।
यह भी तेजी से देखा जा रहा है कि सत्तू शरबत की उपलब्धता है – गर्मियों के लिए उपयुक्त ठंडा पेय, जिसमें मूल मसाले, पानी, प्याज और धनिया का उपयोग किया जाता है। गर्मियों का स्टेपल न केवल भरता है, बल्कि तरोताजा भी करता है, और लंबे समय तक भरा रखता है
सत्तू आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर साबित होता है और कई बीमारियों के इलाज में भी मदद करता है मजदूर और किसान सत्तू दलिया का सेवन करते हैं जो उन्हें भरपूर रखता है और उन्हें धूप में काम करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। कोलेस्ट्रॉल कम करने से लेकर, पाचन में सुधार से लेकर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने तक, सत्तू के कई फायदे हैं जिनके बारे में दुनिया कम ही जानती है।
Contents
- 1 सत्तू को अंग्रेजी में क्या कहते हैं? ( Sattu meaning in english)
- 2 चने के सत्तू के पोषक तत्वों की जानकारी | 100 gm sattu nutrition facts in hindi | Sattu nutritional value
- 3 सत्तू में प्रोटीन की मात्रा | Sattu protein per 100g
- 4 सत्तू कितने प्रकार के होते हैं?
- 5 सत्तू कैसे बनता हैं | Sattu kaise banta hai | सत्तू कैसे बनाते हैं
- 6 सत्तू खाने का तरीका
- 7 सत्तू के फायदे और नुकसान | Sattu khane ke fayde aur nuksan
- 8 सत्तू से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवाल
सत्तू को अंग्रेजी में क्या कहते हैं? ( Sattu meaning in english)
अंग्रेजी में, सत्तू को भुने हुए बेसन (roasted gram flour) या बंगाल बेसन (Bengal gram flour) के रूप में जाना जाता है क्या चना और सत्तू एक ही है? चना या (gram) एक फली है, जो सत्तू यानी आटा का एक स्रोत है चने को भून कर पीसा जाता है तो सत्तू का आटा बनता है।
सत्तू एक प्रकार का आटा है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से भारत और तिब्बत में किया जाता है। इसमें भुनी हुई दाल और अनाज का मिश्रण होता है। सूखे पाउडर को व्यंजन के प्रमुख या द्वितीयक घटक के रूप में विभिन्न तरीकों से तैयार किया जाता है। सत्तू का उपयोग शाकाहारी व्यंजनों में किया जाता है क्योंकि यह प्रोटीन का स्रोत हो सकता है।
चने के सत्तू के पोषक तत्वों की जानकारी | 100 gm sattu nutrition facts in hindi | Sattu nutritional value
चने का सत्तू एक उत्तम पोषण स्रोत होता है। यह ऊर्जा देता है और विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर होता है। निम्नलिखित टेबल में चने के सत्तू के पोषक तत्वों की जानकारी दी गई है।
पदार्थ | मात्रा |
---|---|
कैलोरीज | 360-390 |
कैल्शियम | 110 मिलीग्राम |
आयरन | 5.6 मिलीग्राम |
प्रोटीन | 20-23 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट | 55-60 ग्राम |
विटामिन सी | 1 मिलीग्राम |
विटामिन बी-6 | 0.5 मिलीग्राम |
थाइमिन | 0.6 मिलीग्राम |
रिबोफ्लेविन | 0.2 मिलीग्राम |
नियासिन | 1.5 मिलीग्राम |
फोस्फोरस | 330 मिलीग्राम |
इस तरह से, चने का सत्तू आपको ऊर्जा देने के साथ-साथ अन्य पोषक तत्वों जैसे कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, विटामिन सी, विटामिन बी-6, फोस्फोरस आदि से भरपूर होता है।
सत्तू में प्रोटीन की मात्रा | Sattu protein per 100g
सत्तू में प्रोटीन की मात्रा सभी प्रकार के सत्तू में थोड़ी भिन्न-भिन्न होती है। लेकिन आमतौर पर, 100 ग्राम सत्तू में लगभग 20 से 25 ग्राम प्रोटीन होता है। यह वसा और कार्बोहाइड्रेट के समान मात्रा में होता है। प्रोटीन की मात्रा भी सत्तू के विभिन्न प्रकारों और ब्रांड के आधार पर भिन्न हो सकती है।
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सत्तू कितने प्रकार के होते हैं?
सत्तू दो प्रकार के होते हैं एक है चने का सत्तू और दूसरा है जौ मिला सत्तू दोनों को भून और पीसकर सत्तू बनाया जाता है सत्तू शरबत को आप नमकीन या मीठा अपनी पसंद के हिसाब से बना सकते हैं।
सत्तू कैसे बनता हैं | Sattu kaise banta hai | सत्तू कैसे बनाते हैं
Sattu kaise banta hai – सत्तू गर्मियों के लिए बेस्ट माना जाता है। इसका इस्तेमाल कर बेहतरीन समर ड्रिंक के साथ-साथ टेस्टी पराठा और लिट्टी बनाई जाती है। माार्केट में सत्तू आराम से मिल जाता है लेकिन उसमें वो खुशबू नहीं होती है जो घर के बने सत्तू में आती है। सत्तू चने के अलावा जौ और गेहूं से भी बनाया जाता है हम आपको सत्तू बनाने के 2 तरीके बतायेगे। तो जानिए घर पर कैसे बनाये।
सत्तू बनाने का पहला तरीका | Mix Sattu kaise banta hai
सत्तू को अनाज या चने को सूखा भून कर तैयार किया जाता है, ज्यादातर जौ या चने की दाल। उड़ीसा में सत्तू या चटुआ काजू, बादाम, बाजरा, जौ और चने को भूनकर और महीन आटे में पीसकर बनाया जाता है।
सत्तू बनाने की सामग्री
- 500 ग्राम चना दाल
- 100 ग्राम पोहा
- 100 ग्राम गेहूं
- 100 ग्राम मूंग दाल
- 100 ग्राम सोयाबीन
- 2 टी स्पून इलायची पाउडर
सत्तू बनाने की विधि | Sattu banane ki vidhi
- एक भारी तले की कढ़ाई में सभी सामग्री को 5-10 मिनट के लिए सूखा भून लें।
- एक महीन पाउडर बनाने के लिए सभी भुनी हुई सामग्री को थोड़ा-थोड़ा लड़ के ब्लेंडर में डालें और पीस लें।
- सारे पीस जाने के बाद, मोटे हिस्सों को निकालने के लिए पाउडर को छलनी से छान लें।
- इस पाउडर को आगे इस्तेमाल के लिए एक जार में स्टोर कर लें।
आप इस पाउडर को मिठास के लिए गुड़ या स्टीविया के साथ पानी या दूध के साथ मिलाकर इसे वर्कआउट के बाद या नाश्ते के रूप में ले सकते हैं आप भरवां परांठे या साबुत गेहूं की कचौरी भी एक स्वस्थ और भरपेट खाने के लिए बना सकते हैं।
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(चना सत्तू) सत्तू बनाने का दूसरा तरीका | chane ka sattu kaise banta hai
बहुत से लोग सत्तू को पानी में घोलकर रोज सुबह खाली पेट पीते हैं इससे उनकी पाचन क्रिया में सुधार होता है और मल त्याग से संबंधित समस्याएं कम होती हैं इसमें डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं जो आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल सकते हैं और रोजाना सेवन करने पर आपको बीमारियों से बचा सकते हैं यह सत्तू आप पीने के लिए उपयोग में ला सकते है।
सत्तू बनाने की सामग्री
- काला चना
- जीरा
चना सत्तू बनाने की विधि | चने का सत्तू कैसे बनाते हैं
चने के सत्तू बनाने के लिए, सबसे पहले चने को पानी में डालकर आधा घंटे तक भिगो दें। इसके बाद, चने को पानी से निकालकर धूप में सुखाएं। जब चने अच्छी तरह से सूख जाएं, तो उन्हें एक कड़ाही में थोड़ी सी बालू डालकर भूनें। अगर आपके पास बालू नहीं है, तो बिना बालू के ही भून सकते हैं।
अब आप देखेंगे कि चने के छिलके आसानी से निकल रहे हैं। इसके बाद, चने को छान लें। फिर चनों को एक बड़े बर्तन में रखें और उन्हें थोड़ी ठंडी होने दें। उन्हें दरदरा करने के लिए किसी भारी चीज से रगड़े और फिर सूप का उपयोग करके छिलका हटा दें।
अब एक तवे में जीरा भूनें। इसके बाद, थोड़ा-थोड़ा चना और जीरा लेकर पिसेंगे अब सत्तू तैयार है इसे अपनी पसंद के अनुसार उपयोग करें।
सत्तू खाने का तरीका
चना सत्तू खाने का तरीका – एक गिलास पानी में 2 बड़ा चम्मच सत्तू, स्वादानुसार नमक, काली मिर्च, जीरा पाउडर और नींबू मिलाकर ड्रिंक तैयार की जा सकती है। इसे नमक या चीनी के साथ मिलाकर पेस्ट के रूप में तथा आंटे में स्टफ कर परांठे के रूप में भी खाया जा सकता है सत्तू में आयरन, सोडियम, फाइबर, आयरन, मैंगनीज, प्रोटीन, मैग्नीशियम पाया जाता है जिसे अगर पानी में थोड़ा सा नमक और नींबू के साथ मिलाकर पिया जाए तो ये शरीर को तुरंत एनर्जी देता है और हाइड्रेट करता है
सत्तू के फायदे और नुकसान | Sattu khane ke fayde aur nuksan
सत्तू भारत में बहुत लोकप्रिय है। सत्तू दलिया, चने, गेहूं और बार्ली से बनता है। इसे ताजा रखने के लिए नहीं पकाया जाता है, जिससे इसकी पोषण मूल्य बरकरार रहती है। यह बहुत से पोषक तत्वों से भरपूर है।
सत्तू एक पौष्टिक और स्वस्थ खाद्य है जो प्रतिदिन के आहार में शामिल किया जा सकता है। यह दलहनी दलिया, चने या गेंहू के आटे से बनाया जाता है। नीचे सत्तू के फायदों और नुकसान के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
सत्तू के फायदे | Sattu khane ke fayde
Sattu ke fayde – गर्मी के दिनों में सत्तू का सेवन कई स्थानों पर किया जाता है। खास तौर से यूपी व बिहार में सत्तू काफी प्रसिद्ध है जहां इसके स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं। सत्तू को इतना पसंद किए जाने का कारण सिर्फ इसका स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत से जुड़े यह अनमोल फायदे भी हैं।
- गर्मी के दिनों में सत्तू का सेवन करना आपको गर्मी के दुष्प्रभाव और लू से बचाता है सत्तू का उपयोग करने से लू लगने का खतरा कम होता है क्योंकि यह शरीर में ठंडक पैदा करता है।
- अगर आपको बार-बार भूख लगती है या फिर आप लंबे समय तक भूखे नहीं रह सकते, तो सत्तू आपके लिए लाभदायक है इसे खाने या फिर इसका शर्बत पीने के बाद लंबे समय तक आपको भूख का एहसास नहीं होगा।
- सत्तू प्रोटीन का बढ़िया स्त्रोत है और यह पेट की गड़बड़ियों को भी ठीक करता है। इसे खाने से लिवर मजबूत होता है और एसिडिटी की समस्या दूर होती है और आसानी से पचने के कारण कब्जियत भी नहीं होती।
- जौ और चने से बनाया गया सत्तू डाइबिटीज में फायदेमंद है। अगर आप डाइबिटीज के मरीज हैं तो रोजाना इस सत्तू का प्रयोग आपके लिए फायदेमंद है इसे पानी में घोलकर शर्बत के रूप में या फिर नमकीन बनाकर भी लिया जा सकता है।
- शरीर में ऊर्जा की कमी होने पर सत्तू तुरंत ऊर्जा देने का कार्य करता है। यह कमजोरी को दूर कर आपको ऊर्जावान बनाए रखने में कारगर है। इसमें कई तरी के पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं जो पोषण देते हैं।
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सत्तू वजन कैसे घटाता है | is sattu good for weight loss | Sattu khane ke fayde in fatloss
मोटापे से परेशान लोगों के लिए सत्तू एक रामबाण उपाय है जौ से बना सत्तू प्रतिदिन खाने से पाचन तंत्र भी सुचारु रूप से कार्य करता है और मोटापा कम होकर आप छरहरी काया पा सकते हैं।
सत्तू के नुकसान | Sattu khane ke nuksan | Side Effects of Sattu in Hindi
सत्तू के फायदों के बारे में आप जान ही चुके हैं, लेकिन किसी भी चीज की अधिकता सेहत के लिए अच्छी नहीं होती है। इसी वजह से हम सावाधानी के तौर पर सत्तू के नुकसान के बारे में बता रहे हैं।
- सत्तू में फाइबर की अधिक मात्रा होती है। इसके अधिक सेवन से फाइबर गैस, पेट फूलना, ऐंठन और दस्त का कारण बन सकता है।
- चने से एलर्जी होने वाले संवेदनशील लोगों को सत्तू के सेवन से भी एलर्जी का खतरा हो सकता है।
- यह रक्त में मौजूद शुगर के स्तर को कम कर सकता है, इसलिए लो ब्लड शुगर वालों को इसका सेवन अधिक नहीं करना चाहिए।
सत्तू से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवाल
जिन लोगों पहले से ही पेट में गैस, अपच की समस्या है उन्हें सत्तू का सेवन करने से बचना चाहिए या फिर कम मात्रा में ही सत्तू पीना चाहिए। जिन लोगों को गैस के साथ ही कब्ज की समस्या भी रहती है, उन्हें भी चने और जौ के सत्तू से बचना चाहिए।
सत्तू बनाने के लिए दाल को भूना जाता है और बेसन में कच्ची दाल का इस्तेमाल किया जाता है। हम स्वाद से भी इसके बीच का अंतर पता लगा सकते हैं क्योंकि कच्चा बेसन स्वाद में कड़वा होता है जबकि सत्तू का स्वाद कड़वा नहीं होता है।
रोज सुबह खाली पेट सत्तू का सेवन आपके पाचन तंत्र और मल त्याग को बेहतर बनाने के लिए जाना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह अघुलनशील फाइबर से भरा होता है जो आपके कोलन को साफ करने और आपको एसिडिटी, सूजन और क्लॉगिंग जैसी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए बहुत अच्छा है।
200 ग्राम चना सत्तू में करीब 40 ग्राम प्रोटीन होता है तथा जौ और चना के मिश्रण वाले 200 ग्राम सत्तू में 28-30 ग्राम प्रोटीन होता है
अगर हम एक चम्मच में 15 ग्राम सत्तू मान के चलें तो इसमें करीब 3 ग्राम प्रोटीन होगा
सत्तू को दूध के साथ आसानी से खाया जा सकता है और यह आपको बादाम दूध जैसी स्थिरता देता है। वास्तव में, देश के पूर्वी भाग में, बिहार जैसे राज्यों में, सत्तू पाउडर दूध या छाछ के साथ मिश्रित एक बहुत ही लोकप्रिय गर्मियों का पेय है।
सर्दियों के दरवाजे पर दस्तक देने के साथ, बहुत से लोग अपने आहार में बदलाव करते हैं, लेकिन एक सुपरफूड जो सर्दियों के मौसम में भी आपके आहार योजना में हमेशा बना रहना चाहिए, वह है सत्तू। और सर्दियों में सत्तू खाने का सबसे अच्छा तरीका है पराठा बनाना।
1 गिलास सत्तू में 100 ग्राम सत्तू में 413 ग्राम एनर्जी कैलोरी, 3 ग्राम पानी, 64 ग्राम कार्बोहाइडेट, 18 ग्राम फाइबर, 25 ग्राम प्रोटीन और 5 ग्राम फैट होता है।
रोज रात को सोते समय थोड़ी मात्रा में चने के सत्तू का सेवन करने से बवासीर के मस्सों से होने वाला रक्त का रिसाव बन्द हो जाता है चने के सत्तू में गुड़ मिलाकर रोज सेवन करने और ऊपर से एक पाव दूध में एक चम्मच देशी घी मिलाकर पीने से महिलाओं की श्वेत प्रदर की शिकायत दूर हो जाती है।
एक गिलास पानी में 2 बड़ा चम्मच सत्तू, स्वादानुसार नमक, काली मिर्च, जीरा पाउडर और नींबू मिलाकर ड्रिंक तैयार की जा सकती है इसे नमक या चीनी के साथ मिलाकर पेस्ट के रूप में तथा आटे में स्टफ कर परांठे के रूप में भी खाया जा सकता है।
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